बस अब तुम
ही
इन काबिल-ऐ-फकर नैनो
का प्याला ,
पी कर जिन्हे
मखमूर हुआ दिलवाला,
तेरी पलकों के
परदे ने एक नूर सा
दिखाया है,
ना सोने मैं,
ना हीरे मैं...
ना उस सूरज मैं वो
बात है,
इन्ही आँखों का
कमाल है.. के हमें इक
राह है दिखी,
मंजिल हो जिसकी,
बस अब तुम ही ।
उस अदब के
होठों से तेरी आवाज़,
दिल पर वार
करने वाले तेरे
अलफ़ाज़,
उस वार का
एहसास मद्धम हो
रहा है,
सीना चीर दो,
तब भी वो बात नहीं
है,
ज़िन्दगी मैं वो
बात नहीं, जो
बात तेरी बात
मैं है,
मेरी कहानी हो,
बस अब तुम ही ।
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