क्या लिखें ?
क्या बयान करें ?
वह हसी या वो हवा
जो जुल्फों को तेरे, लहरा देती थी
या वो मशवरा, या वो दवा
जो मुश्किलों में तू पिला दिया करती थी
या फिर वो बेकरारी या खुमारी
जो तेरे आने से आती और जाने से बढ़ती थी ।
क्या लिखें ?
वह अलफ़ाज़ जो तेरे आने पर जज़्बातों से दब जाते थे
या वो सुर और साज
जो बिना कोशिश के ग़ज़ल बन जाते थे
या वह जज़्बा और जूनून,
जो रातों को जागकर काम मुकम्मल करवाता था
क्या लिखें ?
सब लब्ज़ तो आंसुओं से मिट जाते है
क्या कहें ?
सब यादें तो धुंधली सी हो जाती है
क्या समझाएं ?
वो धड़कनें जो चल रही मगर धड़क नहीं,
या ये की ये धड़कनें पहले किसी और के लिए थी
ज़िन्दगी दिलों का सफर है।
जिस्म वसल के लिए बेकरार है,
दिल फिराक होने की तलाश में है,
न तेरी मेरी कहानी वस्ल की है, न फिराक की
न दिल जुड़े है, न जिस्म मिले है,
बस सवाल है यह की
अब क्या लिखें और क्या बताएं ?
क्या बयान करें ?
वह हसी या वो हवा
जो जुल्फों को तेरे, लहरा देती थी
या वो मशवरा, या वो दवा
जो मुश्किलों में तू पिला दिया करती थी
या फिर वो बेकरारी या खुमारी
जो तेरे आने से आती और जाने से बढ़ती थी ।
क्या लिखें ?
वह अलफ़ाज़ जो तेरे आने पर जज़्बातों से दब जाते थे
या वो सुर और साज
जो बिना कोशिश के ग़ज़ल बन जाते थे
या वह जज़्बा और जूनून,
जो रातों को जागकर काम मुकम्मल करवाता था
क्या लिखें ?
सब लब्ज़ तो आंसुओं से मिट जाते है
क्या कहें ?
सब यादें तो धुंधली सी हो जाती है
क्या समझाएं ?
वो धड़कनें जो चल रही मगर धड़क नहीं,
या ये की ये धड़कनें पहले किसी और के लिए थी
ज़िन्दगी दिलों का सफर है।
जिस्म वसल के लिए बेकरार है,
दिल फिराक होने की तलाश में है,
न तेरी मेरी कहानी वस्ल की है, न फिराक की
न दिल जुड़े है, न जिस्म मिले है,
बस सवाल है यह की
अब क्या लिखें और क्या बताएं ?
No comments:
Post a Comment