वो भी वक़्त था,
जब अरसा गुज़र जाता था तेरी यादों मैं,
जुल्फों का वह खेल या तेरी मेरी आँखों का मेल,
हर लम्हा जेहन में मेरे थम गया था,
वह भी वक़्त था,
रातें बसर जाती थी, तेरे ख्यालों में,
यह गीत सौ सौ दफा सुन लिया करते थे
बखत इश्क़ बयां करने से डरते थे,
तो तुझे इश्क़ करके भी भागते थे
तेरे पास इश्क़ देने के लिए इश्क़ था,
मेरे पास वह इश्क़ लेने का जज़्बा न था,
मौसम गुज़रे, रातें गुज़रे, मुलाक़ातें रुक गयीं
तुम हमें शायद भूल गयी
और हम तुम्हे याद करके भी
याद नहीं कर पाए ।
अब तेरे पास इश्क़ देने के लिए वक़्त नहीं,
या शायद अब तुम्हे हमसे इश्क़ नहीं,
मेरे पास अब वक़्त भी है, हुनर भी है, पर तुम नहीं।
वो भी वक़्त था,
जब लिखने बैठे तो पन्ने काम पड़ जाते थे,
अब बस लिख देते है, लेकिन कुछ बयां नहीं कर पाते।
वह भी वक़्त था,
जब इश्क़ को दुनिया का सबसे ऊँचा दर्ज़ा दिया था,
अब शायद हम आशिक़ उस दर्ज़े के नहीं,
ख़तम नहीं कर सकते वो शुरू जो तुमसे हुआ था,
बस यही इल्तिजा है, वो वक़्त वापिस आ जाए,
या तुम आओ, या हम जाएँ,
या तुम इश्क़ दो, या हम दें,
लेकिन यही गुज़ारिश है,
सात नहीं तोह बस एक जन्म, हम और तुम हम बनकर गुज़ार दें ।
जब अरसा गुज़र जाता था तेरी यादों मैं,
जुल्फों का वह खेल या तेरी मेरी आँखों का मेल,
हर लम्हा जेहन में मेरे थम गया था,
वह भी वक़्त था,
रातें बसर जाती थी, तेरे ख्यालों में,
यह गीत सौ सौ दफा सुन लिया करते थे
बखत इश्क़ बयां करने से डरते थे,
तो तुझे इश्क़ करके भी भागते थे
तेरे पास इश्क़ देने के लिए इश्क़ था,
मेरे पास वह इश्क़ लेने का जज़्बा न था,
मौसम गुज़रे, रातें गुज़रे, मुलाक़ातें रुक गयीं
तुम हमें शायद भूल गयी
और हम तुम्हे याद करके भी
याद नहीं कर पाए ।
अब तेरे पास इश्क़ देने के लिए वक़्त नहीं,
या शायद अब तुम्हे हमसे इश्क़ नहीं,
मेरे पास अब वक़्त भी है, हुनर भी है, पर तुम नहीं।
वो भी वक़्त था,
जब लिखने बैठे तो पन्ने काम पड़ जाते थे,
अब बस लिख देते है, लेकिन कुछ बयां नहीं कर पाते।
वह भी वक़्त था,
जब इश्क़ को दुनिया का सबसे ऊँचा दर्ज़ा दिया था,
अब शायद हम आशिक़ उस दर्ज़े के नहीं,
ख़तम नहीं कर सकते वो शुरू जो तुमसे हुआ था,
बस यही इल्तिजा है, वो वक़्त वापिस आ जाए,
या तुम आओ, या हम जाएँ,
या तुम इश्क़ दो, या हम दें,
लेकिन यही गुज़ारिश है,
सात नहीं तोह बस एक जन्म, हम और तुम हम बनकर गुज़ार दें ।
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