Saturday, 1 June 2019

Ishq ki

सोचना तुम्हे, लाये सादगी
लिखना तुम्हे, जैसे शायरी
एहसास तुम्हारा बेहद अफीमी,
एहसास तुम्हारा बेहद अफीमी।

यह सांसें न है मेरी न है तेरी,
यह सांसें तो है इश्क़ की।

मेरी कहानी मेरी नहीं,
तैर जवानी, तेरी नहीं
मेहरबानी है यह, उस परवरदिगार की
ये रूहानियत है, न तेरी न उस की
ये रूहानियत तो है इश्क़ की । 

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